बेलाडोना – होमियो गीतावली – होमियोपैथिक
अकड़न तथा भटकन रहे स्पंदन कहीं होता रहे।
या अचानक दर्द होकर फिर चला जाता रहे।।
तन ढांकन पर ही अगर आराम होता हो कहीं।
ढँक जाय कोई अंग तो होता पसीना हो वहीं।।
ज्वर भोग से या धूप से उत्प्त रोगी हो जहॉं।
दर्द, सूजन, लालिमा, प्रत्यक्ष दिखलाये वहॉं।।
ताप अरू उद्विग्न्ता के साथ यदि उन्माद हो।
”बेलाडोना” को दिये तत्काल ही आन्नद हो।।
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