Wednesday, July 14, 2010

ब्रायोनिया – होमियो गीतावली – होमियोपैथिक

मल त्‍याग की इच्‍छा नहीं वह सूख जाता है जभी।
अंग या प्रत्‍यंग में सब वेदना बढ़ती तभी।।

सर्वांग में सूखा ही सूखापन दिखाता हो कहीं।
क्रोधी बने या चिड़चिड़ा पर डोल सकता हो नहीं।।

कब्‍ज की हो टेव या तो प्रकृति वातज सोचिये।
विश्राम से आराम हरकत से बढ़े दु:ख देखिये।।

जोड़ या अन्‍यांग में जब दर्द का आधिक्‍य हो।
”ब्रायोनिया” के साथ ही उस रोग का सामीप्‍य हो।।

http://newscast.co.in/homeogeetawali-4

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